TNR न्यूज़, रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र में बुधवार को राजस्व मामलों की लंबित फाइलों और भुईंया पोर्टल की त्रुटियों को लेकर जमकर हंगामा हुआ। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर, कांग्रेस विधायक उमेश पटेल और शकुंतला पोर्ते ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से इस गंभीर विषय को उठाया।
भुईंया पोर्टल पर उठे सवाल
भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने भुईंया पोर्टल में हो रही गड़बड़ियों पर तीखे सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि यह पोर्टल किसानों के लिए सहायक बनने के बजाय परेशानी का सबब बन गया है। उनका आरोप था कि 35 फीसदी डेटा की गलत एंट्री की गई है, जिससे किसान परेशान हो रहे हैं।
उन्होंने सरकार से सवाल किया कि “भुईंया पोर्टल की त्रुटि सुधारने की जिम्मेदारी किसकी है?” इसके जवाब में राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा कि पोर्टल का संचालन राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) द्वारा किया जाता है और त्रुटि सुधार के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त हैं। लेकिन विधायक चंद्राकर ने यह तर्क दिया कि त्रुटियों को सुधारने की अधिकतम समयसीमा सात दिन तय की गई है, फिर भी महीनों तक सुधार नहीं हो रहा। उन्होंने कटाक्ष करते हुए पूछा, “क्या भुईंया पोर्टल भगवान भरोसे चल रहा है?”
राजस्व मामलों की लंबित फाइलों पर बहस
अजय चंद्राकर ने लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत राजस्व विभाग पर सवाल उठाए और पूछा कि इस अधिनियम का पालन नहीं करने वाले अधिकारियों पर अब तक क्या कार्रवाई हुई है। इसके जवाब में राजस्व मंत्री ने स्वीकार किया कि राज्य में 1,49,479 राजस्व प्रकरण लंबित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि लंबित मामलों की सुनवाई के लिए जल्द ही ‘राजस्व पखवाड़ा’ आयोजित किया जाएगा, जिससे अधिक से अधिक मामलों का निपटारा किया जा सके।
स्पीकर का हस्तक्षेप और उच्च न्यायालय की टिप्पणी
बहस के दौरान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने हस्तक्षेप करते हुए निर्देश दिए कि सरकार को राजस्व मामलों के निपटारे के लिए ठोस कार्ययोजना बनाकर जल्द कार्रवाई करनी चाहिए। वहीं, कांग्रेस विधायक उमेश पटेल ने आरोप लगाया कि “किसानों की अपील के बावजूद एक साल से कोई कार्रवाई नहीं की गई है।” उन्होंने यह भी खुलासा किया कि अकलतरा में एक व्यक्ति ने तहसील कार्यालय के चक्कर लगाकर तंग आकर आत्महत्या की कोशिश की।
सरकार का रुख और आगे की रणनीति
राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने यह स्वीकार किया कि राजस्व प्रकरणों की संख्या बढ़ी है, लेकिन उन्होंने भरोसा दिलाया कि “बजट सत्र के बाद सरकार राजस्व पखवाड़ा आयोजित कर लंबित मामलों को तेजी से निपटाने की दिशा में काम करेगी।”
इस चर्चा ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है, खासकर भुईंया पोर्टल की गड़बड़ियों और लोक सेवा गारंटी अधिनियम के क्रियान्वयन में लापरवाही को लेकर। अब देखना होगा कि सरकार अपने दावों पर कितनी जल्दी अमल करती है या फिर ये सिर्फ आश्वासन तक सीमित रह जाता है।