
आज का इतिहास, TNR न्यूज़:
28 अप्रैल का दिन इतिहास में कई बड़े बदलावों और घटनाओं का गवाह रहा है। विश्व पटल पर राजनीतिक उथल-पुथल से लेकर सांस्कृतिक उपलब्धियों तक, यह तारीख कई मायनों में यादगार बनी हुई है। आइए डालते हैं एक नज़र उन महत्वपूर्ण घटनाओं पर जिन्होंने इस दिन को खास बना दिया।
महत्वपूर्ण घटनाएं:
1789 — बाउंटी विद्रोह:
आज ही के दिन समुद्री इतिहास में प्रसिद्ध ‘बाउंटी विद्रोह’ हुआ था। ‘एचएमएस बाउंटी’ जहाज के कप्तान विलियम ब्लिघ के खिलाफ उनके दल के कुछ सदस्यों ने विद्रोह कर दिया। यह घटना बाद में कई किताबों और फिल्मों का आधार बनी।
1945 — मुसोलिनी का अंत:
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी और उनकी प्रेमिका क्लारा पेटाची को 28 अप्रैल को पकड़कर गोली मार दी गई। यह घटना यूरोप में फासीवाद के अंत का प्रतीक बन गई।
1952 — जापान की संप्रभुता की बहाली:
आज के दिन ‘सैन फ्रांसिस्को संधि’ लागू हुई, जिससे जापान ने अमेरिका के नेतृत्व में मित्र राष्ट्रों के नियंत्रण से पूर्ण स्वतंत्रता हासिल की।
2008 — किंगफिशर-एयर डेक्कन का विलय:
भारतीय विमानन क्षेत्र में बड़ा बदलाव आया जब विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस और कैप्टन गोपीनाथ की एयर डेक्कन का आपस में विलय हुआ, जिससे एक नई विमानन शक्ति का उदय हुआ।
2017 — बाहुबली 2 का ऐतिहासिक प्रदर्शन:
भारतीय सिनेमा में 28 अप्रैल 2017 को ‘बाहुबली 2: द कन्क्लूजन’ रिलीज़ हुई, जिसने न केवल बॉक्स ऑफिस के रिकॉर्ड तोड़े, बल्कि भारतीय फिल्मों को वैश्विक मानचित्र पर नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया।
प्रमुख व्यक्तित्वों से जुड़ी घटनाएं:
मार्क ट्वेन का निधन (1910):
‘एडवेंचर्स ऑफ टॉम सॉयर’ और ‘एडवेंचर्स ऑफ हकलबेरी फिन’ जैसी कालजयी कृतियों के लेखक मार्क ट्वेन का 28 अप्रैल 1910 को निधन हुआ। उन्हें अमेरिकी साहित्य का जनक कहा जाता है।
सद्दाम हुसैन का जन्म (1937):
इराक के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन का जन्म आज ही के दिन हुआ था। वह दशकों तक पश्चिम एशिया की राजनीति के एक विवादित और प्रभावशाली चेहरा बने रहे।
जेम्स मोनरो का जन्म (1758):
अमेरिका के पांचवें राष्ट्रपति जेम्स मोनरो का जन्म भी 28 अप्रैल को हुआ था। ‘मोनरो डॉक्ट्रिन’ आज भी अमेरिकी विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ माना जाता है।
भारत से जुड़ी अन्य बातें:
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सुरेंद्रनाथ बनर्जी का निधन (1925):
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के शुरुआती दौर के नेता सुरेंद्रनाथ बनर्जी का आज ही के दिन निधन हुआ। उन्हें ‘राष्ट्रीय आंदोलन का अग्रदूत’ भी कहा जाता है।
इतिहास में 28 अप्रैल का महत्व सिर्फ राजनीतिक या सैन्य घटनाओं तक सीमित नहीं है। साहित्य, सिनेमा, और संस्कृति के क्षेत्र में भी यह दिन एक अमिट छाप छोड़ता है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा।