
TNR न्यूज – बिलासपुर। दमोह मिशन अस्पताल में 7 मरीजों की मौत के मामले में आरोपी फर्जी डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम उर्फ नरेंद्र विक्रमादित्य यादव को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, आरोपी डॉक्टर ने सालों तक फर्जी डिग्री के दम पर देश के कई बड़े अस्पतालों में काम किया। सबसे सनसनीखेज बात यह है कि उसे देश के प्रतिष्ठित अपोलो अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट के तौर पर नियुक्त किया गया था, जहां उसने लगभग 18 वर्षों तक मरीजों का इलाज किया।
बताया जा रहा है कि अपोलो अस्पताल में काम के दौरान जब लगातार हार्ट पेशेंट्स की मौतें होने लगीं, तब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) और विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम ने उसकी डिग्रियों की जांच की। जांच में सामने आया कि डॉक्टर नरेंद्र द्वारा प्रस्तुत की गई दार्जिलिंग और लंदन की डिग्रियां पूरी तरह फर्जी थीं। इसके बावजूद, अस्पताल प्रबंधन ने मामले को दबा दिया और कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की।
बिलासपुर अपोलो में भी रहा तैनात, दिग्गज नेता भी बने शिकार
जानकारी के मुताबिक, साल 2005-06 में आरोपी डॉक्टर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित अपोलो अस्पताल में बतौर कार्डियोलॉजिस्ट कार्यरत रहा। अस्पताल ने उसे ‘लंदन रिटर्न स्पेशलिस्ट’ बताकर पेश किया और मरीजों का विश्वास जीतकर इलाज के नाम पर मोटी कमाई की। इसी दौरान उसने एंजियोप्लास्टी समेत कई जटिल ऑपरेशन किए, जिनमें पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिवंगत राजेंद्र प्रसाद शुक्ल भी शामिल थे।
बढ़ती मौतों के बाद बनी जांच समिति, सामने आया फर्जीवाड़ा
अस्पताल में हार्ट मरीजों की लगातार हो रही मौतों के बाद जब संदेह गहराया, तब अस्पताल प्रबंधन ने एक जांच समिति बनाई। समिति में आईएमए के तत्कालीन चेयरमैन डॉ. किरण एस देवरस, हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. वाय एस दुबे समेत अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर शामिल थे। जांच के दौरान नरेंद्र जॉन कोई प्रमाणित डिग्री प्रस्तुत नहीं कर पाया। बाद में पता चला कि उसके सभी दस्तावेज फर्जी थे।
कांग्रेस का आरोप: अपोलो ने OT को बना दिया मौत की प्रयोगशाला
फर्जी डॉक्टर को लेकर कांग्रेस नेताओं ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नाम उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। नेताओं ने कहा कि अपोलो अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर को मौत की प्रयोगशाला बना दिया गया था। उन्होंने तत्कालीन सीएमएचओ, अपोलो प्रबंधन और फर्जी डॉक्टर पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की।
जिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय केशरवानी ने कहा कि यदि समय रहते अपोलो अस्पताल प्रबंधन ने कार्रवाई की होती और स्वास्थ्य विभाग को सूचना दी होती, तो दमोह में कई बेकसूरों की जान बचाई जा सकती थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दिवंगत नेता राजेंद्र प्रसाद शुक्ल की मृत्यु के बाद उनके बेटे प्रो. प्रदीप शुक्ला ने शिकायत की थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
अब सवाल यह है कि इतने वर्षों तक फर्जी डॉक्टर कैसे देश के बड़े अस्पतालों में मरीजों का इलाज करता रहा और जिम्मेदार संस्थाएं क्यों मौन रहीं?