TNR न्यूज़, पलामू। झारखंड और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में आतंक का पर्याय बन चुके कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू को मंगलवार सुबह पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया। यह एनकाउंटर झारखंड के पलामू जिले के चैनपुर थाना क्षेत्र में हुआ। अमन साहू पर 150 से अधिक संगीन आपराधिक मामलों में शामिल होने का आरोप था, जिसमें हत्या, रंगदारी, जबरन वसूली और कोयला व्यवसायियों से उगाही जैसी घटनाएँ शामिल थीं।

कैसे हुआ एनकाउंटर?

अमन साहू कुछ समय से छत्तीसगढ़ के रायपुर जेल में बंद था। हाल ही में झारखंड पुलिस ने उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ करने के लिए रायपुर से रांची लाने की प्रक्रिया शुरू की थी। पुलिस टीम जब उसे लेकर आ रही थी, तभी चैनपुर थाना क्षेत्र के अंधारी ढोढा इलाके में अमन के गैंग ने पुलिस वाहन पर बम से हमला कर दिया। इस हमले से गाड़ी असंतुलित हो गई, जिससे पुलिस को संभलने का मौका नहीं मिला।

पुलिस का कहना है कि मौके का फायदा उठाकर अमन साहू ने हथियार छीनकर भागने की कोशिश की। जब पुलिस ने उसे रोकने का प्रयास किया, तो उसने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी गोली चलाई, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया और मौके पर ही दम तोड़ दिया।

 

पलामू एसपी ने की पुष्टि

पलामू जिले की एसपी रीष्मा रमेशन ने मुठभेड़ की पुष्टि करते हुए बताया कि एनकाउंटर के दौरान एक पुलिस जवान भी घायल हुआ है। घायल जवान का इलाज जारी है। मुठभेड़ स्थल पर पुलिस और प्रशासन की टीम तैनात कर दी गई है।

 

अमन साहू – अपराध की दुनिया का बड़ा नाम

अमन साहू का नाम झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ के अपराध जगत में बड़ा और खौफनाक था। वह रांची के बुढ़मू थाना क्षेत्र के मतवे गांव का रहने वाला था। उसने कोयला और खनन माफिया के बीच अपना दबदबा बना रखा था और गैंग के जरिए अपराधों को अंजाम देता था।

 

गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई से था संपर्क

जांच के दौरान यह भी सामने आया था कि अमन साहू के संबंध कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई से थे। माना जा रहा था कि वह जेल के अंदर से भी अपराधों का संचालन करता था और वर्चुअल नंबरों के माध्यम से अपने गुर्गों को निर्देश देता था।

 

हाल ही के अपराध और पुलिस की सख्ती

अमन साहू के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज थे। रांची में कोल ट्रांसपोर्टर बिपिन मिश्रा पर गोलीबारी और हजारीबाग में एनटीपीसी अधिकारी कुमार गौरव की हत्या जैसी ताजा घटनाओं में उसके गैंग का नाम सामने आया था।

झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने हाल ही में कहा था कि जेल में बंद गैंगस्टर वर्चुअल नंबरों के जरिए अपराधों का संचालन कर रहे हैं। पुलिस इस पर कड़ी कार्रवाई कर रही थी और अमन साहू को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही थी।

 

अदालती सजा और गैंग का नेटवर्क

अमन साहू को पहले ही दो मामलों में अदालत से सजा हो चुकी थी। रामगढ़ के एक मामले में उसे 6 साल की सजा और लातेहार के मामले में 3 साल की सजा मिली थी।

 

गैंग की तलाश जारी

पुलिस अब अमन साहू के गैंग के अन्य गुर्गों की तलाश कर रही है। हाल ही में अमन के सबसे करीबी साथी मयंक सिंह ने कोल ट्रांसपोर्टर पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी और सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। पुलिस अब उसके पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए सख्त कार्रवाई में जुट गई है।

 

क्या यह मुठभेड़ गैंगस्टर राज के अंत की शुरुआत है?

अमन साहू की मौत के बाद अब झारखंड और छत्तीसगढ़ में कोयला माफिया, जबरन वसूली और अन्य अपराधों के गिरोहों पर पुलिस की सख्ती बढ़ने की उम्मीद है। पुलिस प्रशासन का दावा है कि इस कार्रवाई से अपराधियों में भय का माहौल बनेगा और अपराध पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।

इस एनकाउंटर को लेकर स्थानीय जनता और व्यापारियों में भी मिलाजुला रुख देखने को मिल रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि अमन साहू का खात्मा अपराध नियंत्रण की दिशा में एक बड़ा कदम है, जबकि कुछ लोग इस मुठभेड़ की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे हैं।

 

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