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छत्तीसगढ़ के इस जगह मनाई जाती है अजीबोगरीब दशहरा, पढ़े पूरी खबर – TNR न्यूज

TNR न्यूज : मुंगेली (दशहरा 2024): छत्तीसगढ़ के मुंगेली नगर में मिट्टी के रावण का वध करने की प्रथा वर्षों से चली आ रही है। इस साल, गोवर्धन परिवार द्वारा मिट्टी के रावण का निर्माण किया जा रहा है।दशमी के दिन गोवर्धन परिवार के सदस्य सबसे पहले रावण की पूजा करते हैं। इसके बाद, यादव समाज के लोग मिट्टी के रावण को लाठियों से पीटकर वध करते हैं।

इस प्राचीन परंपरा के आयोजन की तैयारियों में जुटे हैं। वीर शहीद धनंजय सिंह स्टेडियम, बीआर साव स्कूल में हर साल की तरह इस वर्ष भी पूरी तैयारी की जा रही है। गोवर्धन परिवार के सदस्य श्रीकांत गोवर्धन ने बताया कि यह परंपरा 1896 से शुरू हुई थी।

राजा कुंभकार परिवार द्वारा ईको-फ्रेंडली रावण का निर्माण आज भी किया जा रहा है। यह परंपरा है कि सबसे पहले मिट्टी से बने रावण की पूजा गोवर्धन परिवार द्वारा की जाती है।

कंतेली में निकलती है राजा की सवारी, रावण का दहन नहीं होता:

जिला मुख्यालय से लगभग दस किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत कंतेली में 16वीं सदी से चली आ रही एक अनोखी परंपरा है। यहां राजा की सवारी निकलती है, लेकिन रावण का दहन नहीं किया जाता। राजा के दर्शन के लिए 44 गांवों से ग्रामीण एकत्रित होते हैं।

राजा अपनी कुलदेवी मां महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली की पूजा कर पूरे क्षेत्र की खुशहाली की कामना करते हैं। कंतेली छत्तीसगढ़ का पहला गांव है, जहां दशहरे के दिन राजा बली अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए पाताल लोक से बाहर आते हैं, और प्रजा उन्हें सोनपत्ती भेंट कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करती है।

यह परंपरा दशकों से चली आ रही है और यहां के राजा यशवंत सिंह के महल से सवारी निकलती है, जिसमें लोग शामिल होकर नाचते-गाते कुलदेवी के मंदिर तक पहुंचते हैं। राजा यशवंत सिंह कुल देवी की पूजा करके क्षेत्र की खुशहाली की कामना करते हैं। इसके बाद राजमहल में एक सभा आयोजित की जाती है, जहां ग्रामीण राजा को सोनपत्ती भेंट कर उनका आशीर्वाद लेते हैं।

मंदिर का जीर्णोद्धार:

कंतेली जमीदारी के पहले पुत्र गजराज सिंह द्वारा मंदिर का निर्माण कराया गया था। स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व 1944 में राजा पोखराज सिंह द्वितीय के निधन के बाद, तत्कालीन राज माता पिनांक कुमारी देवी ने यशवंत कुमार सिंह को दत्तक पुत्र बनाया। तब से मंदिर की देखरेख इनके द्वारा की जा रही है।

30 वर्षों से यशवंत कुमार सिंह के संरक्षण में मां महामाया समिति नवरात्रि पर्व पर ज्योति कलश एवं पूजा आयोजन करती रही है। वर्तमान में मंदिर का जीर्णोद्धार मंदिर ट्रस्ट द्वारा लगातार जारी है।

 

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