
TNR न्यूज़, रायपुर।
छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में भूमि नामांतरण (Mutation) की प्रक्रिया को आम जनता के लिए अधिक पारदर्शी, तेज़ और भरोसेमंद बनाने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब राज्य में ज़मीन की रजिस्ट्री के साथ ही संबंधित खरीदार के नाम पर स्वचालित नामांतरण हो जाएगा। सरकार ने इसके लिए छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 24(1) और धारा 110 में संशोधन करते हुए गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।
अब तक की प्रक्रिया कैसी थी?
अब तक ज़मीन की रजिस्ट्री के बाद खरीदार को अलग से तहसीलदार कार्यालय में जाकर म्यूटेशन के लिए आवेदन देना पड़ता था। इसके बाद लंबी और जटिल प्रक्रिया के तहत तहसीलदार द्वारा सुनवाई होती थी, जिसमें समय भी लगता था और भ्रष्टाचार की गुंजाइश भी बनी रहती थी। इस देरी का असर विशेष रूप से किसानों पर पड़ता था, जो नामांतरण न होने की स्थिति में समर्थन मूल्य पर अपनी उपज तक नहीं बेच पाते थे।
अब क्या बदला है?
राज्य सरकार के नए आदेश के अनुसार, अब नामांतरण का अधिकार तहसीलदारों से हटाकर रजिस्ट्रार और सब-रजिस्ट्रार को सौंप दिया गया है। इसका सीधा असर यह होगा कि जैसे ही कोई ज़मीन की रजिस्ट्री दर्ज होती है, उसी समय खरीदार के नाम पर म्यूटेशन अपने आप दर्ज हो जाएगा। इसमें किसी अलग प्रक्रिया या आवेदन की ज़रूरत नहीं होगी।
बदलाव के मुख्य लाभ:
प्रक्रिया में पारदर्शिता: नामांतरण प्रक्रिया में मानवीय हस्तक्षेप कम होगा, जिससे फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार की गुंजाइश घटेगी।
समय की बचत: खरीदारों को अब महीनों तक तहसील के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
किसानों को राहत: नामांतरण की स्वचालित व्यवस्था से किसान बिना किसी देरी के सरकारी योजनाओं और समर्थन मूल्य का लाभ उठा सकेंगे।
भूमि विवादों में कमी: खरीदी-बिक्री के रिकॉर्ड में पारदर्शिता आने से ज़मीन से जुड़े विवादों में भी गिरावट आएगी।
सरकार की मंशा
इस व्यवस्था के पीछे राज्य सरकार का उद्देश्य भूमि प्रशासन को डिजिटल और प्रभावी बनाना है। इससे आम नागरिकों को राहत मिलने के साथ-साथ भूमि माफिया और जालसाजी करने वालों पर भी सख्त शिकंजा कसेगा।
छत्तीसगढ़ सरकार का यह फैसला न केवल प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह आमजन के लिए राहतभरी पहल भी है। राज्य में ज़मीन की खरीद-फरोख्त अब पहले से कहीं ज्यादा सरल, पारदर्शी और सुरक्षित हो जाएगी।