हाई कोर्ट ने कहा – लापरवाह और आलसी लोगों की मदद हाई कोर्ट नहीं कर सकता, फिर सरकारी नौकरी हांथ से चले गई
TNR न्यूज : Bilaspur News – छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। कोर्ट ने कहा है कि हर नागरिक को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना चाहिए, क्योंकि लापरवाह और आलसी लोगों की मदद नहीं की जा सकती। इस टिप्पणी के साथ ही कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे की एकल पीठ में हुई।
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के पिता की मृत्यु के समय याचिकाकर्ता ताम्रध्वज यादव के तीन अन्य भाई थे, जो कामकाजी थे और सभी वयस्क थे। पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए कोई आवेदन नहीं दिया गया। याचिकाकर्ता ने लगभग ढाई साल बाद इस संबंध में आवेदन दिया, जिसके बाद उसे विभाग द्वारा खारिज कर दिया गया, और तब वह हाईकोर्ट गया।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का संदर्भ दिया, जिसमें देर से दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना चाहिए था, लेकिन इस मामले में केवल लापरवाही और गैरजिम्मेदारी दिखाई दे रही है।
मामले के तथ्यों के अनुसार, याचिकाकर्ता ताम्रध्वज यादव के पिता पुनाराम यादव जल संसाधन विभाग दुर्ग में वाटरमैन के पद पर कार्यरत थे। उनकी मृत्यु 14 फरवरी 2005 को हुई थी। ताम्रध्वज यादव ने 17 अक्टूबर 2007 को अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया, लेकिन सचिव ने इसे विलंब के कारण खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि पिता की मृत्यु के समय वह नाबालिग था और जब वह वयस्क हुआ, तब आवेदन दिया। लेकिन कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता उचित कारण या संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दे सका।
कोर्ट ने कहा कि विलंबित कार्रवाई से जनता में भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है। बिना पर्याप्त कारण के समय सीमा के भीतर याचिका दायर न करने का खामियाजा संबंधित व्यक्ति को ही भुगतना पड़ेगा। अदालत ने कहा कि लोगों को समय पर कार्य करने की आदत डालनी चाहिए।