
TNR न्यूज, रायपुर। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष स्थान है। यह व्रत प्रत्येक मास में दो बार—एक शुक्ल पक्ष और एक कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को रखा जाता है। मान्यता है कि एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इससे व्यक्ति को पापों से मुक्ति व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
एकादशी का धार्मिक महत्व
पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु स्वयं एकादशी तिथि के स्वामी हैं। यह व्रत संयम, त्याग और भक्ति का प्रतीक है। एकादशी पर उपवास करने वाला व्यक्ति मानसिक और आत्मिक शुद्धि प्राप्त करता है। विशेषकर, “निर्जला एकादशी” को सभी एकादशियों में श्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि इसमें जल भी ग्रहण नहीं किया जाता।
एकादशी व्रत से जुड़े स्वास्थ्य लाभ
आधुनिक विज्ञान के अनुसार, उपवास करने से शरीर को डिटॉक्स करने का अवसर मिलता है। यह व्रत पाचन तंत्र को विश्राम देता है और मानसिक स्पष्टता भी बढ़ाता है। कई चिकित्सक भी सप्ताह में एक दिन उपवास को लाभकारी मानते हैं, जो परंपरागत एकादशी के अभ्यास से मेल खाता है।
वर्ष भर की सभी 24 एकादशियों की सूची
हर वर्ष में लगभग 24 एकादशी होती हैं (लीप वर्ष में 26)। प्रत्येक का अपना विशेष महत्व है:
1. पुत्रदा एकादशी (शुक्ल पक्ष, पौष)
2. षटतिला एकादशी (कृष्ण पक्ष, माघ)
3. जया एकादशी (शुक्ल पक्ष, माघ)
4. विजया एकादशी (कृष्ण पक्ष, फाल्गुन)
5. आमलकी एकादशी (शुक्ल पक्ष, फाल्गुन)
6. पापमोचनी एकादशी (कृष्ण पक्ष, चैत्र)
7. कामदा एकादशी (शुक्ल पक्ष, चैत्र)
8. वरुथिनी एकादशी (कृष्ण पक्ष, वैशाख)
9. मोहिनी एकादशी (शुक्ल पक्ष, वैशाख)
10. अपरा एकादशी (कृष्ण पक्ष, ज्येष्ठ)
11. निर्जला एकादशी (शुक्ल पक्ष, ज्येष्ठ)
12. योगिनी एकादशी (कृष्ण पक्ष, आषाढ़)
13. देवशयनी/हरिशयनी एकादशी (शुक्ल पक्ष, आषाढ़)
14. कामिका एकादशी (कृष्ण पक्ष, श्रावण)
15. पवित्रा/पुत्रदा एकादशी (शुक्ल पक्ष, श्रावण)
16. अजा एकादशी (कृष्ण पक्ष, भाद्रपद)
17. पद्मिनी एकादशी (शुक्ल पक्ष, भाद्रपद)
18. इंद्र एकादशी (कृष्ण पक्ष, आश्विन)
19. पापांकुशा एकादशी (शुक्ल पक्ष, आश्विन)
20. राम एकादशी (कृष्ण पक्ष, कार्तिक)
21. प्रबोधिनी/देवउठनी एकादशी (शुक्ल पक्ष, कार्तिक)
22. उत्तान एकादशी (अतिरिक्त एकादशी – लीप वर्ष में)
23. उदयानी एकादशी (कृष्ण पक्ष, मार्गशीर्ष)
24. मोक्षदा एकादशी (शुक्ल पक्ष, मार्गशीर्ष)
व्रत विधि
इस दिन प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लिया जाता है। दिनभर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और फलाहार या निर्जल व्रत रखा जाता है। रात्रि में जागरण कर विष्णु सहस्रनाम, गीता या भागवत कथा का पाठ करना पुण्यदायी माना जाता है।
एकादशी व्रत न केवल धार्मिक आस्था का पर्व है, बल्कि यह व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य को भी सशक्त करता है। आज की व्यस्त जीवनशैली में भी यदि कोई व्यक्ति यह व्रत श्रद्धा और नियमपूर्वक करता है, तो उसे आध्यात्मिक बल और शांति की अनुभूति होती है।