
TNR न्यूज़, रायपुर।
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के नक्सल प्रभावित उसूर क्षेत्र में बीते 26 घंटों से चल रही मुठभेड़ अब एक बड़े और सुनियोजित सैन्य अभियान में तब्दील हो चुकी है। कर्रे और नड़पल्ली की पहाड़ियों से लगातार गोलियों की आवाजें गूंज रही हैं, जिससे इलाके में भारी तनाव और दहशत का माहौल बना हुआ है। मंगलवार सुबह भी पहाड़ियों से तेज़ फायरिंग की आवाजें रिकॉर्ड की गईं, जिनकी पुष्टि स्थानीय स्रोतों और वीडियो फुटेज से हुई है।
हिडमा की सक्रियता की सूचना से बढ़ा अलर्ट लेवल
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस मुठभेड़ के केंद्र में माओवादी पीएलजीए कमांडर हिडमा की मौजूदगी को लेकर सुरक्षा एजेंसियों को पुख्ता इनपुट मिले हैं। बताया जा रहा है कि पुलिस की गश्त की भनक लगते ही हिडमा अपने दस्ते के साथ इलाके से दूसरी सुरक्षित जगह की ओर रवाना हो गया। फिर भी, सुरक्षा बलों को अंदेशा है कि वह आसपास के किसी जंगल या पहाड़ी क्षेत्र में छिपा हो सकता है।
ड्रोन से निगरानी, चप्पे-चप्पे पर तैनाती
सुरक्षा बलों ने कर्रे गुट्टा क्षेत्र में ड्रोन की मदद से निगरानी तेज कर दी है। खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इलाके में माओवादियों की संख्या करीब 2000 तक हो सकती है। इसी के मद्देनजर, छत्तीसगढ़-मुलुगु सीमा पर स्थित वेंकटपुरम, वाजेडु और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में करीब 10,000 सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है। सीआरपीएफ के शीर्ष अधिकारी खुद मौके पर मौजूद हैं और पूरे ऑपरेशन पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं।
देश की सबसे बड़ी माओवादी विरोधी कार्रवाई की ओर संकेत
अगर मुठभेड़ इसी रणनीति के तहत आगे बढ़ती है, तो यह देश के इतिहास की सबसे बड़ी और निर्णायक माओवादी विरोधी कार्रवाई बन सकती है। सुरक्षाबलों की योजना बेहद सुनियोजित और व्यापक है, जिसमें जमीनी बलों के साथ-साथ एयर सर्विलांस और तकनीकी उपकरणों की मदद ली जा रही है।
गांवों में भय और भगवान से शांति की प्रार्थना
इस ऑपरेशन का असर आसपास के गांवों पर साफ दिख रहा है। तनाव और अनिश्चितता के माहौल में ग्रामीण भगवान की शरण में हैं। कई स्थानों पर लोग धूपबत्ती जलाकर शांति और सुरक्षा की कामना कर रहे हैं। प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां हर पहलू पर नजर बनाए हुए हैं।
पूरे देश की निगाहें इस अभियान पर टिकीं
बीजापुर की इस मुठभेड़ को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर भी खासा ध्यान केंद्रित है। यह कार्रवाई ना केवल सुरक्षा एजेंसियों की रणनीतिक क्षमता की परीक्षा है, बल्कि माओवादियों के खात्मे की दिशा में एक निर्णायक मोड़ भी बन सकती है। जैसे-जैसे अभियान आगे बढ़ रहा है, पूरे देश की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं।