TNR न्यूज़, रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में गुरुवार को शहरी परिवहन व्यवस्था को लेकर बड़ा सवाल उठा। विधायक राजेश मूणत ने राज्य सरकार को घेरते हुए कहा कि केंद्र सरकार की सहायता से प्रदेश के विभिन्न शहरों में सिटी बस सेवा शुरू की गई थी, लेकिन वर्तमान में इसका संचालन बेहद दुर्व्यवस्थित हो गया है। उन्होंने चिंता जताई कि शहरों में संचालित बसों की संख्या में भारी कमी आई है और सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए।
378 बसों में से केवल 103 ही संचालित
विधायक मूणत ने विधानसभा में सवाल किया कि क्या यह सही है कि रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़, सरगुजा, कोरिया और बस्तर जैसे शहरों में अरबन पब्लिक सर्विस सोसायटी बनाकर सिटी बसों का संचालन किया जा रहा है? उन्होंने सरकार से यह भी पूछा कि क्या योजना की शुरुआत में कुल 378 बसें सड़कों पर थीं, लेकिन अब मात्र 106 बसें ही संचालित हो रही हैं?
उन्होंने आगे सवाल किया कि यदि 272 बसें सेवा से बाहर हो चुकी हैं, तो उनकी वर्तमान स्थिति क्या है? क्या वे मरम्मत योग्य हैं, या पूरी तरह कबाड़ हो चुकी हैं? अगर बसें खराब हैं, तो उन्हें सुधरवाने की जिम्मेदारी किसकी है? क्या सरकार ने इस संबंध में कोई समिति गठित कर समीक्षा की है? यदि नहीं, तो इसके पीछे क्या कारण है?
डिप्टी सीएम अरुण साव का जवाब
विधानसभा में इन सवालों के जवाब में डिप्टी सीएम अरुण साव ने स्वीकार किया कि प्रदेश के नौ शहरों में अरबन पब्लिक सर्विस सोसायटी के माध्यम से सिटी बसों का संचालन किया जा रहा है। उन्होंने यह भी माना कि योजना की शुरुआत में 378 बसें उपलब्ध थीं, लेकिन वर्तमान में सिर्फ 103 बसें ही सड़कों पर दौड़ रही हैं, जबकि 275 बसें संचालन से बाहर हो चुकी हैं।
डिप्टी सीएम ने बताया कि असंचालित बसों का मूल्यांकन संबंधित सोसायटियों द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि खराब बसों की मरम्मत की जिम्मेदारी अनुबंधित संचालन एजेंसियों की है, और सोसायटियों को इन्हें जल्द से जल्द चालू करने के निर्देश दिए गए हैं।
बसों के खराब होने का कारण और सरकार की योजना
हालांकि, विधायक मूणत द्वारा उठाए गए सवालों पर डिप्टी सीएम ने विस्तृत जानकारी नहीं दी कि इतनी बड़ी संख्या में बसें खराब क्यों हुईं? क्या यह रखरखाव में लापरवाही का नतीजा है, या फिर अनुबंधित एजेंसियों की अनदेखी का मामला है?
इस मुद्दे पर विपक्ष भी सरकार को घेर सकता है, क्योंकि शहरी परिवहन से लाखों लोगों की यातायात सुविधा जुड़ी हुई है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस संभावित परिवहन संकट से निपटने के लिए क्या ठोस कदम उठाती है।