
TNR न्यूज़, रायपुर।
कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए देश में रह रहे सभी पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने का निर्देश जारी किया है। इस फैसले के बाद जहां पूरे देश में पाकिस्तानी नागरिकों के बीच चिंता का माहौल है, वहीं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के शरणार्थी शिविरों में रह रहे पाकिस्तानी हिंदू समुदाय के लोग विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं।
हालांकि इस संवेदनशील परिस्थिति में छत्तीसगढ़ सरकार ने एक मानवीय पहल करते हुए इन अल्पसंख्यक शरणार्थियों को राहत दी है। राज्य के गृह मंत्री और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध और पारसी अल्पसंख्यकों को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत भारत में रहने की अनुमति है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में केंद्र सरकार से दिशा-निर्देश मांगे गए थे, और उनके अनुसार इन शरणार्थियों को फिलहाल देश छोड़ने की आवश्यकता नहीं है।
राजनीतिक बहस भी हुई तेज
छत्तीसगढ़ सरकार के इस रुख पर विपक्षी दलों ने सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धनेंद्र साहू ने कहा कि केंद्र सरकार का आदेश पूरे देश पर लागू होता है, ऐसे में छत्तीसगढ़ को इससे अलग कैसे रखा जा सकता है? उन्होंने कहा कि “कानून सबके लिए एक समान होना चाहिए, चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिम।”
शरणार्थियों ने जताया आभार
रायपुर के माना कैंप के पास स्थित पूज्य शदाणी दरबार में रह रहे पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों ने छत्तीसगढ़ सरकार के फैसले पर खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में उन्हें अपने धर्म के पालन की स्वतंत्रता नहीं थी, और वे हमेशा असुरक्षा और भय के माहौल में जीते थे। भारत को उन्होंने अपना स्थायी ठिकाना मानते हुए कहा कि वे अब कभी भी पाकिस्तान नहीं लौटना चाहते।
शरणार्थियों की मुख्य मांग है कि उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाए ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें और आने वाली पीढ़ियां बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सकें।
मानवता और संविधान का संतुलन
जहां एक ओर केंद्र सरकार की सख्ती के तहत देशभर में पाकिस्तानी नागरिकों की वापसी की प्रक्रिया तेज हो गई है, वहीं छत्तीसगढ़ का यह फैसला एक मानवीय दृष्टिकोण को दर्शाता है। सरकार का मानना है कि नागरिकता संशोधन कानून उन अल्पसंख्यकों के लिए है, जो अपने देश में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित हुए हैं और भारत में शरण लिए हुए हैं।