
TNR न्यूज़, मुंगेली।
छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के नगर पंचायत जरहागांव में शराब खरीदने वालों के लिए अब बोतल तक पहुंचना किसी चुनौती से कम नहीं है। यहां शराब दुकान तक जाने वाला रास्ता इतना बदहाल हो चुका है कि वह लोगों की जान पर बन आया है। यह दुकान बिलासपुर-मुंगेली मुख्य मार्ग से करीब दो किलोमीटर भीतर स्थित है, लेकिन वहां तक पहुंचने वाला रास्ता पूरी तरह से जर्जर और खतरनाक हो चुका है।
बारिश में सड़क नहीं, कीचड़ का दलदल
बरसात के मौसम में यह रास्ता और भी खतरनाक हो जाता है। जगह-जगह गड्ढों में पानी भर जाता है और कीचड़ फैल जाती है। लोगों का फिसलना, गिरना और चोटिल होना यहां आम बात हो गई है। न पैदल चला जा सकता है, न ही दोपहिया या चारपहिया वाहन सुरक्षित रूप से पहुंच सकते हैं। स्थिति ऐसी हो गई है जैसे लोग शराब खरीदने नहीं, बल्कि किसी युद्ध क्षेत्र में जा रहे हों।
लोगों में गुस्सा: बोतल से ज्यादा खर्च मरहम पर
स्थानीय लोगों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार हर दिन शराब बिक्री से करोड़ों का राजस्व कमा रही है, लेकिन एक पक्की सड़क तक नहीं बना पा रही। “अब डर शराब से नहीं, उस रास्ते से लगता है। बोतल से ज्यादा खर्च तो अब मरहम और पट्टी पर हो रहा है। ये सड़क नहीं, सज़ा है।”
प्रशासन ने कहा – समस्या पर होगा संज्ञान
इस मामले में मुंगेली की अपर कलेक्टर निष्ठा पांडेय तिवारी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मामले की जानकारी ली जा रही है और संबंधित विभाग को निर्देश दिए जाएंगे ताकि जल्द से जल्द समाधान निकाला जा सके।
बड़ा सवाल: कमाई जरूरी, सुविधा क्यों मजबूरी?
सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब सरकार शराब से इतना बड़ा राजस्व अर्जित कर रही है, तो जरहागांव जैसे क्षेत्रों को एक अच्छी और सुरक्षित सड़क देने में इतनी लापरवाही क्यों? क्या केवल कमाई करना ही मकसद है, सुविधाएं देना कोई प्राथमिकता नहीं?
जरहागांव की ये टूटी सड़कें अब सिर्फ लोगों को चोट नहीं पहुँचा रहीं, बल्कि शासन की संवेदनहीनता को भी उजागर कर रही हैं। जनता अब चाहती है कि शराब की बिक्री से पहले इंसानियत और सुविधा को महत्व दिया जाए – क्योंकि रास्ता शराब का नहीं, सरकार की नीयत का आईना बन चुका है।