
TNR न्यूज़, रायपुर।
छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में अब विकास की नई कहानी लिखी जा रही है। दशकों से नक्सली हिंसा और सरकारी तंत्र से दूरी झेलते रहे इस अंचल के भीतरू इलाकों में अब दोबारा शासकीय कार्यालयों की बहाली शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति और नक्सल उन्मूलन की रणनीति के चलते अब बस्तर के हालात तेजी से बदल रहे हैं।
वन मंत्री केदार कश्यप ने बताया कि लंबे समय बाद बस्तर के सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर जैसे अत्यंत संवेदनशील इलाकों में वन विभाग के कार्यालय फिर से स्थापित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह महज दफ्तरों की बहाली नहीं, बल्कि सरकार की आमजन तक पहुंच और भरोसे की पुनर्स्थापना है।
पूर्व में नक्सली हमलों और हिंसा के कारण जगरगुंडा, गोलापल्ली, किस्टाराम, गंगालूर, पामेड़ और सोनपुर जैसे इलाकों से शासकीय दफ्तर हटाकर सुरक्षित ज़िलों में संचालित किए जा रहे थे। परिणामस्वरूप आदिवासी और वनवासी समुदाय को जरूरी सेवाओं के लिए 40–50 किलोमीटर तक की दूरी तय करनी पड़ती थी।
अब जब इन क्षेत्रों में नक्सलियों का प्रभाव लगभग समाप्त हो चुका है, वन विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को पुनः पुराने अधिसूचित मुख्यालयों में शुरू कर दिया है। इससे न सिर्फ ग्रामीणों को रोजगार और सुविधाओं की सीधी पहुँच मिलेगी, बल्कि वन्य जीवों एवं संपदा का संरक्षण भी सशक्त रूप से हो सकेगा।
वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा, “बस्तर की ओर लौट रही शांति और विकास सरकार की नीति और नीयत दोनों का प्रमाण है। यह कदम न केवल शासन-प्रशासन की पहुँच बढ़ाएगा, बल्कि वर्षों से उपेक्षित रह रहे वनवासियों की जिंदगी में सकारात्मक परिवर्तन लाएगा।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि लघु वनोपज संग्रहण, वानिकी कार्य और काष्ठ कूपों के संचालन से स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन को गति मिलेगी। साथ ही विलुप्ति की कगार पर पहुँच चुके वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए यह निर्णय मील का पत्थर साबित होगा।
वन विभाग की इस पहल को लेकर केदार कश्यप ने विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों को साधुवाद दिया और उम्मीद जताई कि आने वाले समय में बस्तर का हर कोना विकास की मुख्यधारा से जुड़ सकेगा।