
TNR न्यूज़, छत्तीसगढ़:
नाबालिग छात्रा से जघन्य अपराध के दोषियों को उम्रकैद की सजाछत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (जीपीएम) जिले के पेंड्रा में एक विशेष न्यायालय ने नाबालिग स्कूली छात्रा के साथ अमानवीय अपराध करने वाले दो आरोपियों, गंगाराम चौधरी और नरेश चौधरी, को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही दोनों पर एक-एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
पेंड्रारोड स्थित विशेष अपर सत्र न्यायालय में न्यायाधीश एकता अग्रवाल ने यह फैसला सुनाया, जो इस जघन्य अपराध की गंभीरता को दर्शाता है।यह मामला पेंड्रा थाने में अपराध क्रमांक 126/24 के तहत दर्ज किया गया था। आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 376(2)(ढ), और 323 के तहत बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, और शारीरिक नुकसान पहुंचाने के आरोप लगाए गए थे।
यह घटना स्थानीय समुदाय के लिए स्तब्धकारी थी, क्योंकि यह एक शादी समारोह के दौरान हुई, जहां पीड़िता आरोपियों की परिचित थी।न्यायालय में पेश किए गए तथ्यों के अनुसार, किशोरी शादी समारोह में शामिल होने गई थी, जब आरोपियों ने उसका फायदा उठाकर इस घृणित कृत्य को अंजाम दिया। पीड़िता के परिजनों ने जब उसे संदिग्ध हालत में देखा, तो तुरंत उसे नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। इसके बाद, उन्होंने पेंड्रा थाने में शिकायत दर्ज की, जिसने मामले को गंभीरता से लिया।
पेंड्रा पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया। जीपीएम पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर जांच शुरू की और ठोस साक्ष्यों के आधार पर अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। जांच के दौरान एकत्र किए गए साक्ष्य और गवाहों के बयानों ने आरोपियों के अपराध को स्पष्ट रूप से साबित किया।
मामले की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त लोक अभियोजक कौशल सिंह ने शासन की ओर से प्रभावी पैरवी की। उन्होंने पीड़िता और उसके परिवार पर हुए इस अपराध के गहरे प्रभाव को उजागर किया। न्यायाधीश एकता अग्रवाल ने साक्ष्यों और तर्कों का गहन विश्लेषण करने के बाद दोनों आरोपियों को दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास के साथ-साथ जुर्माने की सजा सुनाई।
यह फैसला न केवल पीड़िता को न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि ऐसे अपराध करने वालों के लिए कड़ा संदेश भी देता है। जीपीएम पुलिस की त्वरित कार्रवाई और अभियोजन पक्ष की मजबूत पैरवी ने इस मामले में न्याय सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाई।स्थानीय समुदाय ने इस फैसले का स्वागत किया है, लेकिन यह घटना सामाजिक समारोहों में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता का विषय बनी हुई है। इसने जागरूकता और निवारक उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया है।
पुलिस और प्रशासन ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने और पीड़ितों को त्वरित न्याय दिलाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।यह ऐतिहासिक फैसला न्यायिक व्यवस्था में विश्वास को मजबूत करने और पीड़ितों को अपनी आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण साबित होगा। यह समाज को यह संदेश देता है कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।