TNR न्यूज़, रायपुर।
छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था में एक बार फिर शनिवार के शाला संचालन समय को लेकर गहमागहमी तेज हो गई है। लोक शिक्षण संचालनालय और एससीईआरटी द्वारा हाल ही में जारी नवीन निर्देशों ने प्रदेश के शिक्षकों में असमंजस की स्थिति उत्पन्न कर दी है। शिक्षकों का कहना है कि स्थायी शासनादेश के होते हुए भी नए आदेश भ्रम को जन्म दे रहे हैं।
क्या है विवाद की जड़?
दरअसल, एससीईआरटी द्वारा जारी वार्षिक शैक्षणिक कैलेंडर में शनिवार को भी सामान्य कार्यदिवस की तरह सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक स्कूल संचालन का उल्लेख किया गया है। यह निर्देश लोक शिक्षण संचालनालय ने 22 जुलाई 2025 को जारी करते हुए सभी शालाओं में लागू करने की बात कही है। वहीं, वर्ष 2018 में शासन द्वारा जारी स्थायी आदेश के अनुसार शनिवार को स्कूल संचालन सुबह 7:30 बजे से 11:30 बजे तक निर्धारित किया गया था।
शिक्षक संघ की नाराजगी
शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए कहा कि शनिवार को सुबह की पाली में स्कूल संचालित करने का आदेश विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए लिया गया था। इसमें योग, प्राणायाम और अन्य रचनात्मक गतिविधियों के लिए समय सुनिश्चित किया गया था। उन्होंने कहा कि नए निर्देश पुराने आदेशों की अनदेखी कर रहे हैं, जिससे राज्यभर के शिक्षकों और स्कूलों में भ्रम फैल गया है।
संगठन का पुराना संघर्ष फिर से शुरू?
प्रांतीय महासचिव धर्मेश शर्मा ने वर्ष 2018 का हवाला देते हुए कहा कि उस समय भी इसी प्रकार की स्थिति उत्पन्न हुई थी, जिसे लंबे संघर्ष और बातचीत के बाद सुलझाया गया था। उन्होंने चिंता जताई कि यदि शीघ्र स्पष्ट आदेश नहीं आया, तो प्रदेश में फिर से स्कूल समय को लेकर अव्यवस्था और असंतोष की स्थिति बन जाएगी।
क्या चाहते हैं शिक्षक?
शिक्षक संघ ने स्पष्ट रूप से मांग की है कि विभाग तुरंत हस्तक्षेप कर स्थिति को साफ करे और स्थायी शासनादेश के अनुसार शनिवार को सुबह की पाली में ही स्कूल संचालन का आदेश दोहराया जाए। संघ ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ, तो वे आंदोलन की राह पर जा सकते हैं।
छत्तीसगढ़ में स्कूल समय को लेकर फिर उठी यह बहस साफ दर्शाती है कि प्रशासनिक स्तर पर स्पष्टता की कितनी आवश्यकता है। शिक्षक संगठनों की यह मांग केवल समय की नहीं, बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बच्चों के समग्र विकास से जुड़ा मसला है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।