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छत्तीसगढ़ में रतन टाटा ने कोशिश की पर सपना अधूरा रह गया, जाने क्या है पूरा मामला – TNR न्यूज

TNR न्यूज : रायपुर – Tata Group :  भारत और विश्व के प्रमुख उद्योगपति रतन टाटा का आज निधन हो गया। टाटा ग्रुप का छत्तीसगढ़ में जुड़ने का सपना अधूरा रह गया। इसके लिए टाटा ग्रुप ने करीब 11 वर्षों तक प्रयास किया, लेकिन अंततः सफलता नहीं मिल सकी।

छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के साथ ही यहां निवेश की शुरुआत हुई। 2003 में डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में पहली बार बीजेपी सरकार बनी, और इस समय टाटा ग्रुप ने भी छत्तीसगढ़ में निवेश की इच्छा व्यक्त की। उस समय छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में नक्सलवाद चरम पर था, जिसके कारण कोई भी उद्योगपति वहां जाने के लिए तैयार नहीं था। ऐसे कठिन समय में, टाटा ने वहां निवेश का इरादा जताया और राज्य सरकार को बड़े स्टील प्लांट की स्थापना का प्रस्ताव दिया।

2005 में सरकार और टाटा ग्रुप के बीच एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। टाटा ने बस्तर के लोहंडीगुड़ा में प्लांट लगाने की योजना बनाना शुरू कर दिया। बड़े प्लांट के लिए अधिक जमीन की आवश्यकता थी। इसके लिए 2000 एकड़ से अधिक भूमि का प्रस्ताव सरकार को दिया गया, जिसमें सरकारी और वन भूमि के साथ-साथ किसानों की निजी जमीन भी शामिल थी। इससे लगभग 1700 किसान प्रभावित हुए। सरकार ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की, जिसमें 1100 से अधिक लोगों ने मुआवजा प्राप्त कर लिया, जबकि बाकी विरोध करने लगे।

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