TNR न्यूज़, सारंगढ़।
यूरिया खाद की कालाबाजारी और किसानों को उचित मूल्य पर खाद न मिलने के विरोध में आज सारंगढ़ के भारत माता चौक में भीम आर्मी भारत एकता मिशन, छत्तीसगढ़ (जिला इकाई सारंगढ़–बिलाईगढ़) ने जोरदार आंदोलन किया। कार्यकर्ताओं और किसानों ने केंद्र एवं राज्य सरकार के साथ-साथ कृषि व खाद्य मंत्रियों के पुतले जलाकर अपना आक्रोश व्यक्त किया।
इससे पहले भीम आर्मी कार्यकर्ताओं ने जिला मुख्यालय कलेक्ट्रेट कार्यालय में ज्ञापन सौंपकर मांग की थी कि यूरिया खाद की कालाबाजारी पर रोक लगाई जाए और किसानों को 266 रुपये प्रति बोरी की सरकारी दर पर खाद उपलब्ध कराई जाए। परंतु शासन–प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिसके कारण कार्यकर्ताओं और किसानों में नाराजगी बढ़ी।
आंदोलन में शामिल भीम आर्मी छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष दिनेश आजाद ने कहा, “हम किसान परिवार से हैं। किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए विधानसभा घेराव करना पड़ा, तो पीछे नहीं हटेंगे।”
प्रदेश महासचिव एवं अतिरिक्त बिलासपुर संभाग प्रभारी मनीन्दर सिंह आजाद ने आरोप लगाया कि सरकार और व्यापारियों के बीच मिलीभगत के कारण किसानों के साथ अन्याय हो रहा है।
प्रदेश सचिव कालेश्वर खूंटे ने कहा कि जब सरकार शराब की आपूर्ति कर सकती है तो किसानों के लिए पर्याप्त यूरिया उपलब्ध क्यों नहीं करवा सकती। जिला अध्यक्ष आपुर बंजारे ने बताया कि हाल ही में सरसीवा में 600 बोरी यूरिया ज़ब्त की गई थी, जिससे स्पष्ट है कि खाद सरकारी सोसाइटियों को छोड़कर व्यापारियों तक पहुंच रही है।
आंदोलन में भीम आर्मी के जांजगीर–चांपा जिला टीम के साथ सारंगढ़–बिलाईगढ़ इकाई के पदाधिकारी और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। इनमें खगेश निराला (जिला उपाध्यक्ष), राजेश भास्कर (जिला IT सेल प्रभारी), मनोज जांगड़े (जिला महासचिव), राज वारे, अमित कुर्रे, जनक लहरे, शुशील अनंत, निर्मल कुमार निराला (ब्लॉक अध्यक्ष सारंगढ़), लोकेश प्रेमी (ब्लॉक अध्यक्ष बिलाईगढ़), अमन कुमार अंबेडकर (पूर्व जिला महासचिव), अभिषेक सिंह आजाद, मानोज खूंटे, विक्रम जांगड़े, यूकेश, हेमंत, लकेश्वर, लीलाराम बंजारे, सुरेंद्र नवनीत, भुनेश्वर रात्रे, राकेश बंजारे, विष्णु खूंटे, भूपेंद्र, देव कुमार, देवेश कुमार, तुलाराम चौहान, गणेश राम, सुमित कोशले समेत बड़ी संख्या में जिला व ब्लॉक पदाधिकारी तथा कार्यकर्ता मौजूद थे।
भीम आर्मी ने चेतावनी दी है कि यदि किसानों के हित में तुरंत ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
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