TNR न्यूज़, रायपुर: छत्तीसगढ़ में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल के ठिकानों पर छापेमारी की है। ईडी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, यह छापेमारी शराब घोटाले से संबंधित जांच के सिलसिले में की गई है, जिसमें कुल 15 स्थानों पर रेड की गई।

ED की जांच में चैतन्य बघेल का नाम कैसे आया?

सूत्रों के अनुसार, छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच के दौरान चैतन्य बघेल का नाम सामने आया था। ईडी को संदेह है कि इस घोटाले में कई प्रभावशाली लोग शामिल हो सकते हैं, और इसी कड़ी में अब चैतन्य बघेल के ठिकानों पर छापेमारी की गई है।

 

इससे पहले भी हुई थी बड़ी कार्रवाई

ईडी इस मामले में पहले भी कई बड़े कदम उठा चुकी है। मई 2024 में जांच एजेंसी ने पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर समेत कई आरोपियों की 205.49 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया था। इन संपत्तियों में 18 चल और 161 अचल संपत्तियां शामिल थीं।

 

क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?

छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले को लेकर ईडी की जांच लंबे समय से जारी है। इस घोटाले में आरोप है कि शराब कारोबार से जुड़े एक संगठित गिरोह ने राज्य में अवैध तरीके से मुनाफा कमाया और सरकारी सिस्टम का दुरुपयोग किया। इस मामले में कई प्रशासनिक अधिकारियों, कारोबारियों और राजनेताओं के नाम सामने आए हैं।

 

राजनीतिक हलचल तेज

छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के नौवें दिन की कार्यवाही हंगामेदार रहने की पूरी संभावना है। कांग्रेस विधायकों ने संकेत दिया है कि वे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निवास पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन करेंगे। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस विधायक सदन के भीतर और बाहर सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपना सकते हैं।

 

संभावित हंगामे के कारण

1. ईडी की कार्रवाई पर विरोध – कांग्रेस विधायकों का मानना है कि यह छापेमारी भाजपा सरकार की ओर से राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई है।

 

2. प्रश्नकाल बाधित होने की आशंका – कांग्रेस के विधायकों ने संकेत दिया है कि वे ईडी की कार्रवाई के विरोध में प्रश्नकाल को बाधित कर सकते हैं।

 

3. भूपेश बघेल की उपस्थिति पर सस्पेंस – पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस समय भिलाई स्थित अपने निवास पर हैं, जहां ईडी की टीम छापेमारी कर रही है। ऐसे में यह स्पष्ट नहीं है कि वे विधानसभा सत्र में शामिल होंगे या नहीं।

भाजपा सरकार की प्रतिक्रिया

राज्य सरकार और भाजपा विधायकों का कहना है कि जांच एजेंसियां स्वतंत्र रूप से कार्य कर रही हैं और किसी को भी जांच प्रक्रिया में बाधा नहीं डालनी चाहिए। वे कांग्रेस विधायकों के संभावित विरोध को सदन की कार्यवाही बाधित करने का प्रयास मान रहे हैं।

विधानसभा में क्या हो सकता है?

कांग्रेस विधायकों के नारेबाजी और वाकआउट करने की संभावना है।

सदन में ईडी की कार्रवाई पर तीखी बहस हो सकती है।

 

प्रश्नकाल और शून्यकाल में व्यवधान आने की संभावना है।

इस पूरे घटनाक्रम पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं कि विधानसभा में कांग्रेस का विरोध कितना उग्र होता है और सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है।

 

Similar Posts