आज का पंचांग, 26 फरवरी 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, आज 26 फरवरी 2025, दिन बुधवार को दिशाशूल उत्तर दिशा में प्रभावी रहेगा। ऐसे में उत्तर दिशा की ओर यात्रा करना अशुभ माना जाता है। यदि अत्यावश्यक हो, तो यात्रा से पहले हरा धनिया या सफेद तिल ग्रहण करें और शुभ चौघड़िया मुहूर्त में प्रस्थान करें, जिससे नकारात्मक प्रभाव कम हो सके।
शुभ योग और महाशिवरात्रि का महत्त्वपूर्ण दिन
तिथि व नक्षत्र:
आज फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी (प्रातः 11:09 तक) के बाद चतुर्दशी तिथि रहेगी। यह दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि आज श्री महाशिवरात्रि का पावन पर्व है।
नक्षत्र:
शाम 5:23 बजे तक श्रवण नक्षत्र रहेगा, इसके बाद धनिष्ठा नक्षत्र प्रारंभ होगा। धनिष्ठा नक्षत्र को शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है।
योग:
रात 2:57 बजे तक परिध योग रहेगा, इसके बाद शिव योग का आरंभ होगा, जो किसी भी धार्मिक अनुष्ठान और सिद्धियों के लिए शुभ माना जाता है।
ग्रह स्थिति:
सूर्य और बुध कुंभ राशि में स्थित हैं, जिससे कुम्भ राशि के जातकों के लिए विशेष लाभकारी समय रहेगा।
चंद्रमा मकर राशि में है और मध्यरात्रि 4:37 के बाद कुंभ राशि में प्रवेश करेगा, जिससे पंचक प्रारंभ होगा।
शनि भी कुंभ राशि में है, जो इस राशि के जातकों के लिए धैर्य और आत्मविश्लेषण का समय दर्शाता है।
गुरु वृष में, मंगल मिथुन में, शुक्र मीन में, राहु मीन में और केतु कन्या राशि में विराजमान हैं।
महाशिवरात्रि का विशेष महत्व
आज शिव भक्तों के लिए सबसे बड़ा पर्व है। इस दिन महादेव के विशेष पूजन, रुद्राभिषेक और रात्रि जागरण का अत्यधिक महत्व है। महाशिवरात्रि पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और भांग अर्पण करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
महाशिवरात्रि से जुड़े प्रमुख मेले और आयोजन:
नीलकंठ महादेव (गढ़वाल, उत्तराखंड) में विशाल मेला
काठगढ़ महादेव (पठानकोट, पंजाब) में धार्मिक आयोजन
मंडी (हिमाचल प्रदेश) में प्रसिद्ध शिवरात्रि महोत्सव
प्रयागराज कुंभ महापर्व का समापन स्नान
दिन की शुभ-अशुभ घड़ियां
राहुकाल: दोपहर 12:00 से 1:30 बजे तक, इस दौरान शुभ कार्य करने से बचें।
दिशा शूल: उत्तर एवं वायव्य दिशा की यात्रा टालें, यदि यात्रा आवश्यक हो तो दही या तुलसी सेवन करके प्रस्थान करें।
भद्रा काल: सुबह 11:09 से रात 10:03 तक, इस समय शुभ कार्यों से बचें।
महाशिवरात्रि पर करें ये खास उपाय
1. रुद्राभिषेक करें और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
2. शिवलिंग पर बेलपत्र, जल, दूध और धतूरा अर्पित करें।
3. रात्रि जागरण कर शिव कथा और भजन-कीर्तन करें।
4. इस दिन व्रत करने से सभी ग्रह दोष समाप्त होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।