TNR न्यूज़, रायपुर। 450 करोड़ रुपये से अधिक के कोल लेवी वसूली और मनी लॉन्ड्रिंग घोटाले में निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू, सौम्या चौरसिया और व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी सहित 12 आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है। अदालत ने कहा कि मामले की जांच लंबी चलने की संभावना है, ऐसे में लंबी न्यायिक हिरासत को उचित नहीं ठहराया जा सकता। सभी आरोपी पिछले दो वर्षों से अधिक समय से जेल में थे, और उनकी पूर्व में कई जमानत याचिकाएं खारिज हो चुकी थीं।

सुप्रीम कोर्ट की सख्त शर्तें

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को स्वतंत्रता और निष्पक्ष जांच के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए अंतरिम जमानत दी जा रही है। साथ ही, यह स्पष्ट किया कि यदि कोई आरोपी गवाहों को प्रभावित करने, सबूतों से छेड़छाड़ करने या जांच में बाधा डालने में लिप्त पाया जाता है, तो राज्य सरकार उनकी जमानत रद्द करने की अपील कर सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि निर्धारित तारीख पर आरोपियों के आचरण पर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। अदालत ने कहा कि किसी भी तरह की गड़बड़ी पाए जाने पर जमानत तत्काल रद्द कर दी जाएगी।

किन आरोपियों को मिली जमानत?

अंतरिम जमानत पाने वालों में कई नौकरशाह और व्यापारी शामिल हैं:

1. रानू साहू (निलंबित आईएएस अधिकारी)

2. सौम्या चौरसिया (निलंबित आईएएस अधिकारी)

3. सूर्यकांत तिवारी (व्यवसायी)

4. दीपेश टोंक

5. राहुल कुमार सिंह

6. शिव शंकर नाग

7. हेमंत जायसवाल

8. चंद्रप्रकाश जायसवाल

9. संदीप कुमार नाग

10. रोशन कुमार सिंह

11. समीर विश्नोई

12. शेख मोइनुद्दीन कुरैशी

क्या है पूरा मामला?

छत्तीसगढ़ में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा) कोयला खनन और शराब घोटाले की जांच कर रही हैं। इन मामलों में कई राजनेताओं, नौकरशाहों और व्यापारियों के संलिप्त होने का आरोप है। जांच एजेंसियों के अनुसार, आरोपियों ने अवैध कोल लेवी वसूली के जरिए 450 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी की।

जांच में सामने आया कि सरकारी अधिकारियों और व्यापारियों के गठजोड़ से अवैध लेवी का एक संगठित रैकेट चलाया जा रहा था, जिसमें सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से कोयला कारोबारियों से मोटी रकम वसूली जाती थी। ईडी ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग ऐंगल से जांच की और बड़े पैमाने पर संपत्तियों की जब्ती भी की।

क्या होगा आगे?

अदालत के फैसले के बाद सरकार की नजर आरोपियों के आचरण पर रहेगी। अगर जमानत के दौरान कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो सुप्रीम कोर्ट उनकी जमानत रद्द कर सकता है।

अब इस घोटाले की मुख्य सुनवाई जारी रहेगी, और जांच एजेंसियां कोर्ट में अपने सबूत पेश करेंगी। विशेषज्ञों के अनुसार, मामला राजनीतिक रूप से भी बेहद संवेदनशील बन चुका है और आने वाले समय में इसमें कई बड़े खुलासे होने की संभावना है।

 

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